Ram Bhajan lyrics: राम जी के भजन

Ram ji bhajan lyrics
राम जी के भजन "श्री राम चंद्र कृपालु भजमन"

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श्री रामचंद्र कृपालु भजमन,
हरण भवभय दारुणं।
नवकंज लोचन, कंजमुख कर कंजपद कंजारुणं॥
कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरं।
पटपीत मानहुं तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंशनिकन्दनं।
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चंद दशरथ नंदनं॥
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु, उदार अंग विभूषणं।
आजानुभुज शर चापधर, संकट मोचन नाम तिजिये॥
भजु देवरमन्दिर सुन्दरं, कष्टनिवारण करनं।
भव भय दारुणं नवकंज लोचनं, कंजमुख कर कंजपद कंजारुणं॥
कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरं।
पटपीत मानहुं तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंशनिकन्दनं।
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चंद दशरथ नंदनं॥
विद्यावन्त गुणी अति चातुरं, राम काज करिवेकु अटुलित बल धामं।
अनजनी पुत्र पवनसुत नामं, भजु देवनिद्हि विदित प्रभु दामं॥
दृष्टि ते ते होत नहिं मुझपर, बिनु आवत देखत नहिं अर्जुनराजं।
नाम नाम अधिक तेरो, का नाथ देखत नहिं आधार बाजं॥
वानर सेवा निज मन महँ, राम महिमा राज सुनी भक्तहि भाग्यहं।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप सुजानं॥
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु, उदार अंग विभूषणं।
आजानुभुज शर चापधर, संकट मोचन नाम तिजिये॥
श्री रामचंद्र कृपालु भजमन,
हरण भवभय दारुणं।
नवकंज लोचन, कंजमुख कर कंजपद कंजारुणं॥
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राम जी के भजन "राम सिया राम सिया राम जय जय राम"
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राम सिया राम सिया राम जय जय राम।
हरण भवभय दारुणं, नवकंज लोचन कंजमुख कर कंजपद कंजारुणं॥
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दोहा:
श्री रघुवीर गुंगान गुन भगवान, सियावर रामचंद्र जी की जय।
श्री रघुवीर गुंगान गुन भगवान, सियावर रामचंद्र जी की जय॥
चरण:
जनकवासी जनपदभूषण, भवभयहारिणी राम।
नवकंजलोचन, कंजमुखकर, कंजपदकंजारुणं॥
जय रघुनंदन जय सीताराम।
जय रघुनंदन जय सीताराम॥
सियावर रामचंद्र की जय।
श्री रघुवीर गुंगान गुन भगवान, सियावर रामचंद्र जी की जय॥
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राम जी के भजन "मंगल भवन अमंगल हारी"
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मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
हो, पावन पुरव निरंजन सिया मानत अहें बड़हिं सुर भूप।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
हो, भव भय दारुणं नवकंज लोचन कंजमुख कर कंजपद कंजारुणं।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
हो, कंदर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरज सुन्दरं।
पटपीत मानहुं तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरं॥
सिर मुख पट कुंडल जानु उर धारि अंग वक्र बामा कारे।
अज्ञान बिनासन कर जगावै दया मय बिगट रूप धारे॥
शरण शत शत विदेही नंदन तेज प्रताप महा जग वंदन।
विद्यावान गुणी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया।
सूक्ष्म रूप धरि सीयहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे।
लाय संजीवन लखन जियाये श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥
रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम।
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सब को सन्मति दे भगवान॥
मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी।
राम सिया राम सिया राम जय जय राम॥
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राम जी के भजन
राम जी के भजन "हे राम हे राम"

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हे राम हे राम, हे राम हे राम।
तू ही राम है, तू ही श्याम है॥
जग में सुन्दर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम।
रख ले ले चीर हो ये दामन, मैं हूं तेरा तू है मेरा काम॥
हे राम हे राम, हे राम हे राम।
तू ही राम है, तू ही श्याम है॥
चाहे जिसे तू भगवान माने, उसी को तू मन में बसा ले।
तू ही संसार की राखी करने, तेरे भजन में मन लगा ले॥
हे राम हे राम, हे राम हे राम।
तू ही राम है, तू ही श्याम है॥
मानव मात्र तू ही जीवन-धन है, तेरा ही तो साथी निधान है।
जीवन भर तेरे गुण गाएं, सब दुःख मिटा तू मेरे मन है॥
हे राम हे राम, हे राम हे राम।
तू ही राम है, तू ही श्याम है॥
जग में सुन्दर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम।
रख ले ले चीर हो ये दामन, मैं हूं तेरा तू है मेरा काम॥
हे राम हे राम, हे राम हे राम।
तू ही राम है, तू ही श्याम है॥
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राम जी के भजन "रामायण चौपाई"
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बर्नि प्रतापि महारथ की जो उबारि लै अहीर।
रघुबीर हरषि उर लै अन्य नहिं जाति बीर॥
भंजन बिभीषण भागी कृपाली।
जंबुक निकट नहिं आवत सखा सारी॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥
हनुमान्त सेइ सर्व सुख कराही।
सीतारामचंद्र भजहु बल भाई॥
कृपा करहु गुरु देव की नाई।
जानहिं जगत उद्धार की भाई॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महासुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥
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राम जी के भजन "सीता राम सीता राम कहिए"
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सीता राम सीता राम कहिये, जय सीता राम।
राम नाम जपन करो नाम निराले राम॥
जन्म सुन्दर सीताराम का, राजित जगत जन के मन भारी।
अखंड ज्योति जगाई जगत में, प्रगटि भई भगवान निराले राम॥
अवतरन के आगे जगत में, राम का नाम उच्चार लियो धारी।
तब ही जग जागे ब्रह्मा विष्णु, तब ही शिव शंकर नारायण निराले राम॥
जगदीश के दूत सुखदाता, संकटमोचन सीताराम नाम।
त्रेता युग में आए वीरे, आज भई जग के उद्धारी॥
दुष्ट राक्षसों के भये नाश, भक्ति जगाई रघुपति की आन।
रामजी के दर्शन सोभित जन, मिटाये संशय संग मनकी शान॥
सीताराम नाम जपते हो सब, पाते हो तुम तत्वदर्शन।
पावन करो जन के मन को, दुःख हरो हरि नाम सुरनारी॥
संसार में सभी धर्मों की, मान्यता राम धारी।
सब की सुनते हो सुखकर व्रत, तारी सब के दुःखहारी॥
सीताराम सत्य धर्म के धाम, जग में अनुपम राम।
अनुग्रह करते सदा जन को, प्रेम की बहुमति वाणी सुनाए राम॥
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राम जी के भजन "रघुपति राघव राजा राम"
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रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम।
सीताराम, सीताराम, भज प्यारे तू सीताराम॥
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सब को सन्मति दे भगवान।
रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम॥
इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो ना।
हम चले नीचे वट वट राम, तू इंडिया का वाट वाट राम॥
बदले वतन में अगर खूनी, लहू समझ कर पी जाये तू दूजी जाती।
वतन के लिए मिट जाए अपना जीवन, फिर भी जिये तू जिये दूजी जाती॥
रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम।
सीताराम, सीताराम, भज प्यारे तू सीताराम॥
श्री राम जय राम जय जय राम, श्री राम जय राम जय जय राम।
हरे राम हरे राम हरे राम, हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे कृष्ण॥
रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम।
सीताराम, सीताराम, भज प्यारे तू सीताराम॥
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राम जी के भजन "जय रघुनंदन जय सियाराम"
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जय रघुनंदन जय सियाराम।
पटित पावन सीताराम॥
रघुपति राघव राजा राम,
पतित पावन सीताराम॥
जय राम जय राम जय सीताराम,
भज मन सीताराम॥
वनवासी राम सियाराम,
भगवान राम सीताराम॥
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥
मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुडध्वज।
मंगलम पुण्डरी काक्ष, मंगलाय तनो हरि॥
श्री राम जय राम जय जय राम,
सीताराम सीताराम॥
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"जय सिया राम"
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